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Home पर्यावरण

बांग्लादेश दे रहा खाद्य सुरक्षा पर महंगी कोयला बिजली को तरजीह 

Khabar Devbhoomi Desk by Khabar Devbhoomi Desk
June 11, 2022
in पर्यावरण
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जहां एक ओर खाद्य सुरक्षा दुनिया के लगभग सभी देशों की प्राथमिकता है, वहीं पड़ोसी देश बांग्लादेश से इस संदर्भ में एक हैरान करने वाली खबर आ रही है। दरअसल हाल ही में बांग्लादेश ने जीवाश्म ईंधन की बढ़ती लागत के कारण गरीबों के लिए खाद्य सब्सिडी को कम करने का फैसला लिया। इसी क्रम में ग्रोथवॉच इंडिया और बीडब्ल्यूजीईडी बांग्लादेश द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश को भारतीय कंपनी अदानी के साथ अपने एक बिजली वितरण सौदे पर सालाना 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हो सकता है। 


food security in bangladeshइस घटनाक्रम के चलते और वैश्विक ऊर्जा संकट के कारण दोनों देशों के नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने इस समझौते पर सरकार से पुनर्विचार करने का आह्वान किया है। “एन एशीलीज़ हील ऑफ द पावर सैक्टर ऑफ बांग्लादेश” नाम की इस रिपोर्ट में, बांग्लादेश और झारखंड में अदानी के गोड्डा कोयला संयंत्र बीच हुए सीमा पार बिजली पारेषण समझौते की जांच की गयी है। रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश कोयला संयंत्र के 25 साल के जीवन में करीब 11 अरब अमेरिकी डॉलर का भुगतान करेगा।

जीवाश्म ईंधन की बढ़ती लागत के कारण गरीबों के लिए खाद्य सब्सिडी को कम करने के बांग्लादेश सरकार के हालिया फैसले पर प्रकाश डालते हुए, बांग्लादेश वर्किंग ग्रुप ऑन एक्सटर्नल डेट (बीडब्ल्यूजीईडी) के सदस्य सचिव और रिपोर्ट के सह-लेखक हसन मेहदी ने बांग्लादेश सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाया। वो कहते हैं, “ऐसा लगता है कि बांग्लादेश सरकार गरीबों के लिए भोजन के बजाय जीवाश्म ईंधन के आयात को प्राथमिकता दे रही है। कोयला, तेल और गैस महंगे हैं लेकिन सौर और पवन सस्ते हैं। क्या सरकारों को अपने नागरिकों की आर्थिक हालत और उनके स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देना चाहिए?”

वैश्विक जीवाश्म ईंधन की बढ़ती लागत ने बांग्लादेश सरकार को गरीबों के लिए अपनी खाद्य सब्सिडी को करीब 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक कम करने के लिए मजबूर किया है। बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार ने इसके बजाय जीवाश्म ईंधन के आयात को और अधिक सब्सिडी देने की योजना बनाई है।

मेहदी आगे कहते हैं, “जहां एक ओर प्रधान मंत्री शेख हसीना की सरकार अपने खाद्य सब्सिडी बजट से US$100mn में कटौती कर रही है, वहीं अडानी को कोयला बिजली के लिए 4 गुना भुगतान करने की योजना बना रही है। और ये तब है जब बांग्लादेश को इसकी जरूरत नहीं।”

रिपोर्ट में एक अनुमान के मुताबिक गोड्डा बिजली संयंत्र से बिजली की लागत भारत में अन्य आयातित बिजली की तुलना में 56 प्रतिशत और सौर ऊर्जा से 196% अधिक होगी।

अपनी प्रतिक्रिया देते हुए रिपोर्ट के सह-लेखक और ग्रोथवॉच, भारत, के समन्वयक विद्या दिनकर कहते हैं, “बांग्लादेश सरकार को किसी भी जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली का आयात करना बंद कर देना चाहिए और मुजीब जलवायु समृद्धि योजना के अनुरूप पड़ोसी देशों से केवल रिन्यूबल ऊर्जा आयात करने के लिए सख्त रुख अपनाना चाहिए।”

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सतत विकास लक्ष्यों और मुजीब जलवायु समृद्धि योजना के अनुरूप बांग्लादेश अडानी समूह से 2025 तक रिन्यूबल ऊर्जा स्रोतों से कम से कम 15% बिजली और 2030 तक 30% बिजली की आपूर्ति का निर्देश दे।

बीडब्ल्यूजीईडी के संयोजक और ढाका विश्वविद्यालय में विकास अध्ययन विभाग में प्रोफेसर, डॉ. काजी मारुफुल इस्लाम कहते हैं, “ऊर्जा सुरक्षा, रूस-यूक्रेन युद्ध, और वैश्विक आर्थिक संकट को ध्यान में रखते हुए, बांग्लादेश के लिए इस प्रकार के समझौतों को रद्द करने देश में रिन्युब्ल ऊर्जा आधारित बिजली प्रणाली के निर्माण के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।” 

व्यापारिक दृष्टि से भारत के लिए यह एक अच्छा फैसला है लेकिन रिपोर्ट में दिये तथ्यों और तर्कों के मुताबिक़ बांग्लादेश को वाकई शायद इस संदर्भ में लिए अपने फैसलों पर गौर करने की ज़रूरत है। अब यह देखना रोचक होगा कि बांग्लादेश इस दिशा में क्या कोई फैसला लेता है।  

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