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नैनीताल। नैनीताल हाईकोर्ट ने हरिद्वार के लाइब्रेरी घोटाले में मदन कौशिक से चार हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है। मदन कौशिक पार्टी के नेताओं को चुनाव में हराने के आरोपों से पहले से ही जूझ रहे हैं। BJP इन आरोपों की जांच करा रही है। ऐसी संभावना है कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी मदन कौशिक के हाथ से निकलने वाली है। हरिद्वार लाइब्रेरी घोटाला उत्तराखंड के चर्चित घोटालों में से है। ऐसे में आने वाले दिनों में कांग्रेस के पास एक और मजबूत मुद्दा तैयार हो रहा है।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार में 2010 में हुए पुस्तकालय घोटाले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। इस मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने मदन कौशिक से चार सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह के बाद रखी गई है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता द्वारा कहा गया कि अभी तक पुस्तकालयों का संचालन नहीं हुआ है। जबकि, सरकार की तरफ से कहा गया था कि पुस्तकालयों का संचालन 2019 में हो गया था।
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जानिए क्या है पूरा मामला
देहरादून के निवासी सच्चिदानंद डबराल द्वारा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा गया है कि 2010 में तत्कालीन विधायक मदन कौशिक के द्वारा विधायक निधि से करीब डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए पैसा आवंटित किया गया था। वहीं, पुस्तकालय बनाने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन तक का फाइनल पेमेंट भी कर दिया गया। लेकिन आज तक धरातल पर किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं किया गया। इससे स्पष्ट होता है कि विधायक निधि के नाम पर विधायक ने तत्कालीन जिला अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के साथ मिलकर बड़ा घोटाला किया है।
मदन कौशिक पर मिलीभगत से घोटाला करने का आरोप
याचिकाकर्ता सच्चिदानंद डबराल का कहना है कि पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेस को दिया गया। विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण और सीडीओ की संस्तुति के बाद काम की फाइनल पेमेंट की गई। जिससे स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला हुआ है। लिहाजा, पुस्तकालय के नाम पर हुए इस घोटाले की सीबीआई जांच करवाई जाए। ऐसे में इस मामले को सुनने के बाद कोर्ट की खंडपीठ ने मदन कौशिक से चार सप्ताह में जवाब देने को कहा गया है।