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देहरादून । कई दिनों की सियासी अटकलों के बाद आखिरकार कल गुरुवार को चंपावत के विधायक कैलाश गहतोड़ी विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंपेंगे। लेकिन सवाल ये भी कि आखिरकार सीएम धामी ने चंपावत की सीट ही क्यों चुनी तो इसके पीछे के कारणों को समझिए। दरअसल चंपावत सीट को जातिगत समीकरणों के आधार पर धामी के लिए मुफीद माना गया।
कैलाश गहतोड़ी की चंपावत की जनता के बीच अच्छी पैठ होने के साथ ही यहां करीब 54 फीसदी ठाकुर मतदाता हैं, तो 24 फीसदी ब्राह्मण, 18 फीसदी दलित और चार फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। दूसरे चंपावत धामी की परंपरागत खटीमा सीट से लगी हुई है। इसलिए वह यहां के राजनीतिक, जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों से परिचित भी हैं। ऐसे तमाम कारणों से ये सीट धामी की सबसे पसंदीदा और सुरक्षित सीटों में मानी जा रही है।
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चंपावत में गहतोड़ी ने भरवाई थी हामी
आपको बता दें कि विधायक बनते ही कैलाश गहतोड़ी ने सबसे पहले सीएम के लिए अपनी सीट छोड़ने की पेशकश की थी और इसी के साथ ही गहतोड़ी ने जोशीले अंदाज में कार्यकर्ताओं से इस बात की हामी भी भरवाई थी । हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस बात को टालते ही रहे ।
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सीएम धामी के लिए अभेद दुर्ग की तलाश तो कब की पूरी हो चुकी थी लेकिन पक्की मोहर लगनी बाकि थी आपको बता दें की कैलाश गहतोड़ी कल इस्तीफा देंगे और सीएम धामी के लिया सबसे पहले सीट छोड़ने के एलान को सच साबित कर दिखाएंगे। मुक्यमंत्री बननेके आड़ सीएम धामी का पहला दौरा ही चम्पावत था जिसके बाद से सियासी गलियारों में चर्चाएं आम हो गयीं थी कि हो न हो सीएम के लिए चम्पावत की सीट ही उपचुनाव के लिए सबसे फिट है।
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