देश के लिए बुरी खबर है। देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत एक हेलिकॉप्टर क्रैश में शहीद हो गए हैं। उनके साथ उनकी पत्नी समेत कुल 13 लोग शहीद हुए हैं।

बिपिन रावत का जाना न सिर्फ देश के लिए बल्कि उत्तराखंड के लिए भी बड़े दुख की खबर है। बिपिन रावत पौड़ी के रहने वाले थे।
बिपिन रावत ने सेना से दिसंबर-1978 में जुड़े। सेना को अपनी सेवाएं देने के दौरान बिपिन रावत अनेक पदों पर रहे। इंडियन मिलिट्री एकेडमी, देहरादून में भी उनकी तैनाती रही। रावत मिलिट्री ऑपरेशंस डायरेक्टोरेट में वे जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड 2 रहे। लॉजिस्टिक स्टाफ ऑफिसर, कर्नल मिलिट्री सेक्रेटरी, डिप्यूटी मिलिट्री सेक्रेटरी, जूनियर कमांड विंग में सीनियर इंस्ट्रक्टर जैसे कई पदों पर वह सेना में रहे।
पहाड़ की लड़ाई के महारथी
ऊंची चोटियों की लड़ाई में बिपिन रावत को महाराथ हासिल थी और दुर्दांत इलाकों में उन्होंने आतंकवाद व उग्रवादी गतिविधियों से निपटने के लिए कई ऑपरेशन चलाए। बिपिन रावत को काउंटर इंसर्जेंसी का विशेषज्ञ माना जाता था।
बड़ी खबर। CDS बिपिन रावत को लेकर जा रहा MI 17 हेलिकॉप्टर क्रैश
नॉर्थ ईस्ट में चीन से सटे लाइन ऑफ एक्चुएल कंट्रोल पर उन्होंने एक इंफैंट्री बटालियन को कमांड किया। वहीं, कश्मीर घाटी में राष्ट्रीय राइफल्स और इंफैंट्री डिवीजन के वे कमांडिंग ऑफिसर रहे।
2008 में कांगो में उन्होंने यूएन पीसकीपिंग ऑपरेशन में इंडियन ब्रिगेड के चीफ की ज़िम्मेदारी संभाली। अपने अदम्य साहस के लिए रावत को 40 साल से अधिक के सैन्य करियर में कई सेवा मेडल और अवार्ड मिले हैं। यूनाइटेड नेशंस के साथ काम करते हुए भी उनको दो बार फोर्स कमांडर कमेंडेशन का अवार्ड दिया गया।
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