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Dehradun: देहरादून में पुलिस ने सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने एक सदस्य को गिरफ्तार किया है।
उत्तराखंड में यूं तो सरकारी नौकरी दिलाने पर फर्जीवाड़े के कई मामले अब तक सामने आ चुके हैं लेकिन संभवत: पहली बार ऐसा हुआ है कि ऐसे मामले में सरकारी कर्मचारियों की संलिप्तता पाई गई है।
देहरादून में पुलिस ने सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले गिरोह का खुलासा किया। ये गिरोह अब तक कई लोगों से करोड़ों रुपए ऐंठ चुके हैं। इस मामले में पुलिस ने गिरोह के मुख्य सदस्य को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी का चचेरा भाई सूचना विभाग में हेड क्लर्क है।
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बताया जा रहा है कि पकड़े गए आरोपी का नाम कमल किशोर है। पुलिसिया पूछताछ में कमल ने बताया है कि वो बी-टेक पास है और नेवी रिक्रूटमेन्ट का काम कर चुका है। कमल किशोर अपने दो दोस्तों मनोज नेगी और ललित बिष्ट के साथ मिलकर गिरोह चला रहा था। मनोज नेगी उत्तराखंड जल संस्थान में संविदा कर्मी है जबकि ललित बिष्ट की पत्नी पीडब्ल्यूडी में हैं।
कामकाज के सिलसिले में मनोज नेगी और ललित बिष्ट सचिवालय और विधानसभा में आते जाते रहते। इसी का फायदा कमल किशोर ने उठाया। कमल ने ललित बिष्ट व मनोज नेगी के साथ मिलकर लोगों को सरकारी नौकरी क्लर्क के पद पर लगाने का झाँसा देकर पैसा कमाने की योजना बनाई।
कमल किशोर ने देहरादून के मोती बाजार के रहने वाले एक शख्स को झांसे में लिया और दस लोगों की नौकरी की डील कर ली। हर नौकरी के लिए छह लाख बीस हजार रुपए पर मामला तय हुआ। दस लोगों की तकरीबन बासठ लाख की उगाही कर ली गई। इसमें से काफी पैसा कैश तो कुछ अकाउंट में जमा कराया गया।
खाली केबिनों में इंटरव्यू भी
कमल ने ललित बिष्ट व मनोज नेगी की सहायता से विभिन्न विभागों के फर्जी फार्म मनीष कुमार को भेजे। इसके बाद ललित बिष्ट व मनोज नेगी की सहायता से कुछ अभ्यर्थियों के सचिवालय व विधानसभा के खाली पडे केबिनों में इण्टरव्यू कराये। इण्टरव्यू मनोज नेगी सचिव बनकर व ललित बिष्ट अपर सचिव बनकर लेता था। इण्टरव्यू के बाद फर्जी नियुक्ति पत्र तैयार कर अभ्यर्थियों को दिये और उनका दून अस्पताल मे मेडिकल कराया गया।
बाद में पद निरस्त होने का बहाना बनाया गया और उनके पैसे वापस करने में जानबूझ कर टालमटोल करते रहे। कमल की मानें तो तीनों ने अपने अपने काम के हिसाब से रकम बांट ली। धीरे धीरे तीनों ने मिलकर गिरोह इतना फैलाया कि करोड़ों रुपए नौकरी के नाम पर इकट्ठा कर लिए। इसके बाद वो ही नौकरी के आवेदकों को सचिवालय में प्रवेश दिलाते और सचिवालय के किसी खाली कमरे में बैठा कर आवेदक का साक्षात्कार ले लेते थे। इसके बाद कुछ लोगों को फर्जी नियुक्ति पत्र भी पकड़ाया गया है।
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