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उत्तराखंड में समूह की भर्तियों में राज्य के लोगों का एकाधिकार खत्म हो सकता है। अब अन्य राज्यों के लोग भी समूह ग की भर्तियों के लिए आवेदन कर सकते हैं। ऐसी आशंका हाईकोर्ट के एक ताजा आदेश के बाद सामने आई है, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि समूह ग की भर्ती में सेवायोजन कार्यालयों में पंजीकरण की अनिवार्यता नहीं होगी।
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 2016 में एक्सरे तकनीशियनों के 45 पदों पर आवेदन आमंत्रित किए थे। इसमें आवेदक को प्रदेश के किसी भी जिले के सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण की अनिवार्यता रखी गई थी।
आयोग का कहना था कि स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने के लिए सरकार की ओर से 10 फरवरी 2014 को आदेश जारी कर यह व्यवस्था की गई थी।
एक आवेदनकर्ता याची ने इसी प्रावधान को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने उस समय इस अनिवार्यता को समानता के अधिकार के खिलाफ माना था और अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को दस सप्ताह के अंदर आवेदनकर्ता को नियुक्ति देने का आदेश दिया था।
हाईकोर्ट का यह आदेश आने तक आयोग परीक्षा पूरी करवाकर शासन को सूची भी भेज चुका था। यह देखते हुए एकलपीठ के आदेश खिलाफ सरकार की ओर से हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ ने इस अपील पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ के आदेश को आंशिक रूप से सही माना है। पीठ ने याची को नियुक्ति देने संबंधी एकलपीठ के आदेश को खारिज कर दिया है।
कोर्ट का कहना है कि नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और एकलपीठ का आदेश ही नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के बाद आया। पीठ ने समूह ग के लिए आवेदन में सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण की अनिवार्यता को समाप्त करने के एकलपीठ के आदेश को सही माना है।
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