देहरादून। उत्तराखंड का बजट सत्र सोमवार से शुरु हो गया। सत्र के पहले दिन राज्यपाल का अभिभाषण हुआ। 43 पन्नों के इस अभिभाषण में राज्यपाल ने त्रिवेंद्र सरकार के द्वारा पूरी हुई और प्रस्तावित योजनाओं का लेखा जोखा सदन में रखा। हैराना देखिए कि इस त्रिवेंद्र सरकार की नीतियों को बताने वाले राज्यपाल के अभिभाषण में कहीं भी गैरसैंण का जिक्र तक नहीं आया। सत्ता में आने से पहले यही बीजेपी गैरसैंण को राजधानी बनाए जाने की मांग को लेकर सड़कों पर आंदोलन करती रही और उसके नेता गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित करने की मांग वाले बयान देते रहे। सत्ता में आने के बाद बीजेपी ने ऐसी पलटी मारी कि अब राज्यपाल के अभिभाषण तक में गैरसैंण का जिक्र नहीं आ रहा है।
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वहीं जिस लोकपाल की नियुक्ति का दावा बीजेपी के नेता चुनावों से पहले करते रहे थे वही बीजेपी नेता अब लोकपाल के बारे में बात तक करना नहीं पसंद करते हैं। राज्यपाल के अभिभाषण में लोकपाल की नियुक्ति किए जाने संबंधी कोई पंक्ति नहीं थी। जाहिर है कि त्रिवेंद्र सरकार लोकपाल को नियुक्त करने के मूड में नहीं है। यूं भी, त्रिवेंद्र रावत अक्सर अपनी सरकार को खुद ही क्लीन चिट देते रहें हैं। त्रिवेंद्र रावत अक्सर ये कहते सुने गए हैं कि उनकी सरकार में भ्रष्टाचार हो ही नहीं रहा है तो लोकपाल की जरूरत भी नहीं है।
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सत्ता में आने से पहले और सत्ता में आने के बाद के सियासी दलों का चाल, चरित्र और चेहरे में खासा फर्क होता है। बीजेपी जिन वादों के जुमले के दम पर राज्य में सत्ता में आई अब वो उन्हें ही भूल गई है।
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