भले ही निकाय चुनावों में बीजेपी के उम्मीदवारों के चयन में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को पार्टी ने ‘फ्री हैंड’ दिया हो लेकिन अब सीएम त्रिवेंद्र रावत को अपने हाथ बांधने पड़ सकते हैं। सतपुली में नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के लिए सीएम को अपने बंधे हाथों से मिन्नतें करनी पड़ सकती हैं।
दरअसल इस बार सतपुली से नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए सीएम रावत की भाभी कांति देवी ने दावेदारी कर दी है और वो भी निर्दलीय। कांति देवी पूर्व प्रधान हैं। हालांकि यहां से बीजेपी की प्रत्याशी ने भी नामांकन कर रखा है लेकिन कांति देवी के नामांकन से सियासी समीकरण बिगड़ गए हैं।
बीजेपी, पार्टी की जिस अन्दरूनी कलह के दलदल को हर बार अनुशासन की चादर से ढकने की कोशिश करती है लेकिन कहीं न कहीं से ये दलदल हर बार बीजेपी को परेशान कर ही देता है। सतपुली में इस बार खुद सीएम की भाभी के निर्दलीय नामांकन ने एक बार फिर साबित किया है कि बीजेपी में अनुशासन सिर्फ कहने और दिखाने भर का है। निभाने के लिए ये कहीं नहीं है।
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जिस तरह से कांति देवी पूरे इलाके में चुनाव प्रचार कर रहीं हैं और अपनी जीत के दावे कर रहीं हैं उससे साफ है कि वो दबाव में आए बिना चुनावी मैदान में डटी रहेंगी। ऐसे में बीजेपी के लिए बेहद असहज स्थिती पैदा हो सकती है।
न सिर्फ कांति देवी बल्कि बीजेपी का अनुशासन एक और पुराने नेता ने तोड़ दिया है। मीनू डंगवाल जो कुछ दिनों पहले तक बीजेपी नेता हुआ करती थीं अब यूकेडी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं।
अब बीजेपी भले ही डैमेज कंट्रोल का दावा कर रही हो लेकिन पता उसे भी है कि ये डैमेज कंट्रोल करना मुश्किल है।