मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के जनता मिलन कार्यक्रम में हंगामा और अभद्रता करने के आरोप में सस्पेंड की गई शिक्षिका उत्तरा पंत से शनिवार को शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने बात की। उन्होंने उत्तरा को फोन कर हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि वे अभी बाहर हैं। शिक्षा मंत्री तीन जुलाई को दून पहुंचकर उत्तरा से मिलेंगे। साथ ही मुख्यमंत्री से भी मुलाकात करेंगे।
प्रकरण के तीसरे दिन पहली बार सरकार की ओर से किसी ने उत्तरा से बातचीत करने की पहल की। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने उत्तरा पंत को फोन किया।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि मैं विभाग के मुखिया के नाते आपसे बात कर रहा हूं। आप हमारे परिवार की सदस्य हैं। मुखिया होने के नाते परिवार के सदस्यों की बात सुनना मेरी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि बाहर होने के कारण मैं आपसे मिलने नहीं आ पाया। तीन जुलाई को लौटकर आपसे बात करूंगा। साथ ही उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री से बातचीत करने का आश्वासन दिया।
वहीं मुख्यमंत्री द्वारा सस्पेंड की गई शिक्षिका के बेटे का कहना है कि ‘सोशल मीडिया पर अधूरा वीडियो वायरल हो रहा है। पूरा विडियो दिखाता है कि मुख्यमंत्री ने मेरी मां से कैसे बात की। यह उनकी गलती थी, उन्होंने ही मेरी मां को इस तरह बोलने के लिए उकसाया। वे कह रहे हैं कि एक शिक्षक को ऐसे नहीं बोलना चाहिए, लेकिन एक मुख्यमंत्री को भी इस तरह नहीं बोलना चाहिए।’
शिक्षा मंत्री ने खुद शिक्षिका से बातचीत कर डैमेज कंट्रोल का प्रयास किया या उन्हें सरकार की ओर से ऐसा करने को कहा गया। यह सवाल शनिवार को सबकी जुबान पर रहा ।
शिक्षक संगठन खुलकर शिक्षिका उत्तरा पंत के समर्थन में आ गए हैं। प्राथमिक शिक्षक संगठन ने उत्तरा का निलंबन वापस लेने की मांग की है। निलंबन वापस न लेने पर उन्होंने आंदोलन तक छेड़ने की चेतावनी दी है। दूसरी ओर अन्य शिक्षक संगठनों ने भी इस मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बड़ा दिल दिखाने का अनुरोध किया है।
प्राथमिक शिक्षक संघ ने कहा कि वह लंबे समय तक तबादला एक्ट की मांग इसलिए करते रहे ताकि सभी शिक्षकों को रोस्टर के अनुसार दुर्गम व सुगम की सेवा का लाभ मिलता रहे। शिक्षा विभाग में भाई-भतीजावाद करने वाले और सिफारिशी लोग फायदा उठा रहे हैं। वहीं लंबे समय से दुर्गम में तैनात शिक्षकों को लाभ नहीं मिल पा रहा है, जिसके कारण उनमें कुंठा बढ़ रही है।