सरकारें और जनप्रतिनिधि विद्यालयों को साधन संपन्न बनाने के दावे करते रहते हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों के विद्यालयों में सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। ऐसे में सवाल यही है कि ऐसे कैसे उत्तराखंड के बच्चे पढेंगे और आगे बढ़ेंगे। महात्मा गांधी इंटर कालेज चनौदा में सात कक्षाएं और कार्यालय के लिए मात्र चार कक्ष हैं। कक्षाएं खुले आसमान के नीचे चलती हैं। मौसम खराब होने पर एक कक्ष में तीन-तीन कक्षाएं तक संचालित करना मजबूरी है।
महात्मा गांधी इंटर कालेज चनौदा की 1969 में स्थापना हुई। 1986 में विद्यालय का इंटरमीडिएट में उच्चीकरण हुआ। पूर्व में विद्यालय में 12 कक्ष थे। 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने विद्यालय भवन निर्माण के लिए दो करोड़ रुपये स्वीकृत करने की घोषणा की और दस लाख रुपये अवमुक्त हुए। इसके बाद आठ कक्षों को ध्वस्त कर दिया गया, लेकिन बजट के अभाव में नए कक्षों का निर्माण अब तक नहीं हो सका है। मात्र चार कक्षों में छह से बारहवीं की कक्षाएं और कार्यालय संचालित हो रहा है।
कक्षों के अभाव में खुले आसमान के नीचे कक्षाएं संचालित करनी पड़ रही हैं। बारिश होने पर एक कक्ष में दो से तीन कक्षाएं संचालित करना मजबूरी है। इस कारण बच्चों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, लेकिन शासन, प्रशासन और शिक्षा विभाग इस ओर उदासीन बना हुआ है।
विद्यालय में प्रवक्ताओं के नौ पदों में से गणित, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान और जीव विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण शिक्षकों के पद लंबे समय से रिक्त हैं। वहीं एलटी संवर्ग में 10 पदों के सापेक्ष सामान्य शिक्षक के दो पद रिक्त हैं। महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षकों के नहीं होने से बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।