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देहरादून के मेयर साहब सुनील उनियाल को कुर्सी संभालने के बाद ये भी याद नहीं रहा कि रैनबसेरों में रजाई नहीं होगी तो गरीब रात बिताएंगे कैसे। मेयर साहब गर्म कपड़ों में जब रैनबसेरों का हाल जानने रात में निकले तो उन्हें पता चला कि पूस की रातें बिना रजाई नहीं कटती हैं। यही नहीं, मेयर साहब को जमीन पर लेटे गरीबों को देखकर ही पता चला कि गद्दे न हुए तो भी ठंड लगेगी।

अब मेयर साहब क्या करते, जो व्यवस्थाएं उन्हें अपने स्तर से अधिकारियों को निर्देश देकर करानी थीं उसके लिए वो रैनबसेरों की व्यवस्था देख रहे निचले स्तर के कर्मचारियों पर भड़ास निकालने लगे। कर्मचारी को सबसे सामने डांटने लगे कि रजाई नहीं मिली तो तुम्हें ठंड में खड़ा कर दूंगा। हैरानी इस बात की है कि मेयर ने इससे पहले कभी क्यों नहीं रैन बसेरों में व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के लिए अधिकारियों की बैठकें लीं। क्यों नहीं अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की। यही नहीं, इस ठंड में लोगों को रैन बसेरों में सोने के लिए बिस्तर की जगह जमीन पर व्यवस्था करने के लिए कह दिया गया है। हैरानी है कि नगर निगम रैन बसेरों में फोल्डिंग चारपाइया तक नहीं लगवा पा रहा है।
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