प्रदेश सरकार ने सड़क नीति का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। कैबिनेट की बैठक में इस पर मुहर लगेगी। नीति में यह प्रावधान किया गया है कि सड़क बनाने के बाद ठेकेदार अगले तीन साल तक उसका रखरखाव भी करेगा। अनुबंध में ही बजट की व्यवस्था हो जाएगी। ठेकेदार को पहले साल में मरम्मत के लिए सड़क की लागत की 0.5 प्रतिशत राशि मिलेगी।
दूसरे साल एक प्रतिशत और तीसरे से डेढ़ प्रतिशत की दर से वह सड़क की देखरेख कर सकेगा। नीति में रोड सेफ्टी और अतिक्रमण हटाने पर खास फोकस किया गया है। नीति को मंजूरी मिलने पर पर्वतीय क्षेत्रों में वुडन (लकड़ी) व बेली टाइप ब्रिज (पुल) के स्थान पर माड्यूल ब्रिज बनाए जा सकेंगे। जियो टेक्निकल इन्वेस्टीगेशन (भू तकनीकी जांच) तथा भूगर्भीय स्थिति के विस्तृत अध्ययन के बाद ही नई सड़कों और पुलों के निर्माण की मंजूरी का प्रावधान भी किया गया है।
नीति में पर्यावरणीय पहलुओं को भी तरजीह दी गई है और पहाड़ों, पेड़ों के कटान से बचने के लिए स्टील टाइप सस्पेंशन व बीम से बने पुल बनाने पर जोर दिया गया है। भूगर्भीय दृष्टि से उत्तराखंड के जोन चार व पांच होने के कारण नीति में यह प्रस्ताव भी किया गया है कि पुलों का डिजाइन तय करते समय लोकेशन का भूकंपीय बल का आंकलन भी किया जाए।
नीति में हैं ये प्रावधान भी
– मैदानी गांवों की आंतरिक सड़कों के निर्माण के प्रस्ताव शासन में नहीं भेजने होंगे
– ग्रामीण क्षेत्रों में सीसी मार्ग के बजाय उच्च गुणवत्ता की इंटरलाकिंग टाइल्स का प्रावधान
– सड़क विहीन गांवों के प्रस्ताव वित्तीय वर्ष के शुरू होने से पहले व पहली तिमाही में ही मान्य हों
– सेतु, आरओबी व फ्लाईओवर के पहुंच मार्ग में प्री कास्ट कंक्रीट पैन व जियो ग्रिड का उपयोग
– ब्लैक स्पॉट और एक्सीडेंट प्रोन एरिया वाले मार्ग के सुधारीकरण के लिए चरणबद्ध ढंग से रोड सेफ्टी ऑडिट होगा
– लोनिवि के स्वामित्व वाले मार्गों से अतिक्रमण हटाने और अतिक्रमण होने पर अफसरों की जवाबदेही तय होगी
ग्रामीण सड़कों की स्थिति
15745 गांव में से प्रदेश के 12225 गांव मोटर मार्ग से जुड़े हैं
2554 गांवों को सड़कों से जोड़ने की सरकार मंजूरी दे चुकी
966 गांवों को मोटर मार्गों से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू होनी है
250 से कम आबादी की सड़कें राज्य सेक्टर से
नीति में यह प्रस्ताव भी है कि 250 से कम आबादी की सड़कों का निर्माण ही राज्य सेक्टर की योजना से किया जाए। 250 से अधिक आबादी के गांव की सड़कों को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत प्रस्तावित किया जाए। भौगोलिक और पर्यावरणीय चुनौतियों के मद्देनजर किसी भी मोटर मार्ग से 1.60 किमी की क्षैतिज दूरी या 100 मीटर की ऊर्ध्वाधर (ऊपर-नीचे) दूरी पर स्थित गांव को मोटर मार्ग से संयोजित माना जाए। सड़क विहीन ऐसे गांवों को पहले सड़क से जोड़ा जाए जिनकी आबादी अधिक है।