देहरादून। उत्तराखंड मतलब हड़ताल वाला प्रदेश। यही पहचान बन कर रह गई थी इस राज्य की लेकिन डबल इंजन सरकार ने इस पहचान को बदलने का मन बना लिया है। यही वजह है कि अब त्रिवेंद्र कैबिनेट ने नौ वर्क नो पे की नीति को मंजूरी दे दी है। त्रिवेंद्र कैबिनेट ने एक ऐसा तरीका ढूंढा है जिसके बाद हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारी हड़ताल करने से पहले 100 बार सोचेंगे.
इसके तहत अब हड़ताल के दौरान कर्मचारियों को उतने दिन का वेतन नहीं मिलेगा।
पहले कर्मचारी जब हड़ताल पर होते थे तो सरकार उन्हें उपार्जित अवकाश देकर उनको वेतन जारी कर देती थी लेकिन अब सरकार ने उपार्जित अवकाश की व्यवस्था हड़ताल के दौरान खत्म कर दी है. जिसके बाद हड़ताल के दिन का वेतन कर्मचारियों को नहीं दिया जाएगा।
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सरकार के इस आदेश के बाद कर्मचारियों संगठनों में हलचल है वहीं राज्य के लोगों को ये फैसला खासा पसंद आ रहा है। कर्मचारियों ने हालांकि कहा है कि वो शौक से हड़ताल नहीं करते बल्कि मजबूरी में करनी पड़ती है तो आम लोगों इसे शासन व्यवस्था के लिहाज से बेहतर बता रहें हैं।
वहीं विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले पर सीधा विरोध तो दर्ज नहीं कराया है लेकिन इस फैसले को लागू कराने को लेकर सरकार की मंशा पर उसे शक है।
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