उत्तराखंड में समाज कल्याण के करोड़ों रुपयों के छात्रवृत्ति घोटाले को दफन करने का पक्का इंतजाम करने वाली पहली जांच समिति के सदस्य गीता राम नौटियाल को शासन ने शुक्रवार को पदोन्नति का तोहफा दिया है।
समाज कल्याण विभाग में उपनिदेशक पद पर तैनात नौटियाल को संयुक्त निदेशक पद पर पदोन्नत किया गया है। इस पहली समिति ने घोटाले की शिकायत को निराधार करार देते हुए क्लीन चिट दी थी, इससे असहमत वरिष्ठ अधिकारियों ने तब समिति के सदस्यों को निलंबित करने और उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई करने की सिफारिश की थी।
जानकारी के मुताबिक नौटियाल उस पहली जांच समिति के सदस्य थे, जिसे तत्कालीन निदेशक ने छात्रवृत्ति घोटाले की जांच सौंपी थी। उस वक्त घोटाले की रकम करीब सौ करोड़ के आस-पास बताई जा रही थी।
समिति ने पांच दिन की जांच-पड़ताल के बाद निष्कर्ष दिया कि घोटाले की शिकायत आधारहीन है। इस तरह का कोई घोटाला अस्तित्व में नहीं है। तत्कालीन सचिव डॉ. भूपिंद्र कौर औलख ने जांच समिति की रिपोर्ट खारिज कर तत्कालीन अपर सचिव डॉ. वी.षणमुगम की अध्यक्षता में नई जांच समिति गठित की।
उस समिति की जांच में घोटाले की पुष्टि हुई। इस जांच समिति की रिपोर्ट पर तत्कालीन अपर सचिव मनोज चंद्रन ने घोटाले की सीबीआई या सतर्कता जांच के साथ ही घोटाले की शिकायत को निराधार मानने वाली समिति के सदस्यों को निलंबित करने और उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई करने की सिफारिश की थी।
शुक्रवार को नौटियाल का आदेश जारी होते ही कई लोगों ने सोशल मीडिया पर न केवल पदोन्नति पर सवाल खड़ा कर दिया, बल्कि निलंबन और विधिक कार्रवाई की पुरानी सिफारिशों की नोटशीट को अपलोड कर दिया।
इस बारे में नौटियाल का कहना है कि जांच के लिए उनके पास मात्र पांच दिन का समय था। उनकी जांच रिपोर्ट को तत्कालीन सचिव ने अस्वीकार कर नई समिति का गठन कर दिया था। समिति के सदस्यों के निलंबन की सिफारिश पर उनका कहना है कि नई जांच समिति बनने के बाद उस सिफारिश का कोई औचित्य नहीं था।