उत्तराखंड में पंचायत प्रतिनिधि अब एक साथ दो पदों पर नहीं रह पाएंगे। पंचायतीराज अधिनियम की विभिन्न धाराओं में संशोधन करने की कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। साथ ही लगातार तीन बैठकों से गायब रहने वाले पंचायत प्रतिनिधियों को अयोग्य मानते हुए पद से हटाया जा सकेगा। पंचायत प्रधान, क्षेत्र पंचायत प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण व्यवस्था का प्रावधान किया गया है।
उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम 2016 में अभी तक यह स्पष्ट प्रावधान नहीं था कि पंचायत प्रतिनिधि एक साथ दो पदों पर रह सकता है या नहीं, जिस कारण पंचायत प्रतिनिधियों के एक से अधिक पदों पर बने रहने को लेकर संशय की स्थिति थी। इसे देखते हुए पंचायतीराज विभाग ने अधिनियम में संशोधन करने का प्रस्ताव शासन को भेजा।
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इसे मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि ग्राम पंचायत प्रधान, क्षेत्र पंचायत प्रमुख व जिला पंचायत में अध्यक्ष व सदस्य किसी अन्य पद पर निर्वाचित होते हैं तो वे एक साथ दो पद पर नहीं रह सकते हैं।
इसके साथ ही लगातार तीन बैठकों से अनुपस्थित रहने वाले प्रतिनिधियों को अयोग्य मान कर पद से हटाया जाएगा। अधिनियम में अभी तक प्रधान, क्षेत्र पंचायत प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण स्पष्ट नहीं था। अब प्रावधान किया गया है कि अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्ग की आबादी के अनुसार आरक्षण निर्धारित किया जाएगा।