देहरादून: 16 दिसंबर को वो दिन जब पहाड़ की लड़की नेहा हैवानियत का शिकार हुई. मनचले टैक्सी ड्राइवर ने एक तरफा प्यार के चलते छात्रा पर पेट्रोल छिड़कर आग लगा दी थी जिसका रविवार को दिल्ली के सफदरजंग में मौत हो गई. तब से मां बेसुध है क्योंकि बेटी ही उसका सहारा थी जिसको वो पढ़ालिखा कर काबिल बनाना चाहती थी और एक महीने पहले ही कॉलेज जाने के लिए उसे स्कूटी दिलाई थी ताकि उसे कोई परेशानी न हो. इसको लेकर प्रदेशभर से लेकर सोशल मीडिया में आरोपी को फांसी की सजा देने की मांग उठ रही है…जिसके बाद पुलिस और सरकार दोनों में दबाव बढ़ गया है.
पुलिस प्रशासन ने बढ़ाई आऱोपी पर धारा
वहीं गिरफ्तार आरोपी टैक्सी ड्राइवर मनोज को फांसी की सजा देने की तैयारी में है. जी हां एडीजी अशोक कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि आरोपी पर 307 आइपीसी के तहत मुकदमा पहले से ही दर्ज है. लेकिन अब 302 आईपीसी की धारा बढ़ाई गई है. आपको बता दें ये धारा तब लगती है जब किसी पर हत्या का दोष साबित हो जाता है तो उसे उम्रकैद या फांसी की सजा और जुर्माना हो सकता है.
जल्द कोर्ट में होगी चार्जशीट दाखिल
एडीजी अशोक कुमार ने पौड़ी की छात्रा के साथ हुई हैवानियत पर दुख जाहिर करते हुए कहा कि यह मामला जघन्य अपराध की श्रेणी में आ चुका है औऱ आरोपी के खिलाफ 302 फांसी जैसी सख्त धारा बढ़ा दी गई है. वहीं एडीजी ने जानकारी दी की पुलिस भी जल्द जांच पूरी कर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी में है. साथ ही एडीजी ने बताया की इसके लिए पौड़ी पुलिस को सख्त निर्देश दे दिए गए हैं.
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आरोपी ने जुर्म कबूलते हुए इसे बताया प्रेम प्रसंग का मामला
आपको बता दें आरोपी मनोज ने अपना जुर्म कबूल करते हुए कहा था कि उसका नेहा के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था लेकिन कुछ दिनों से उनके बीच कहासुनी हो गई थी जिस कारण छात्रा उससे बात नहीं कर रही थी. आऱोपी का कहना है कि वह खुद को आग लगा रहा था जिससे छात्रा आग की चपेट में आ गई. बड़ा सवाल ये है कि अगर आरोपी खुद को आग लगा रहा था तो छात्रा 70 से 80 फीसदी कैसे जली??
ये है पूरा मामला
गौर हो कि एचएनबी पौड़ी परिसर के सैकेंड इयर की छात्रा 16 दिसंबर को जब देर शाम कॉलेज से प्रेक्टिकल देकर घर लौट रही थी तभी आरोपी मनोज उसे जंगल की तरफ ले गया और छेड़खानी करने लगा. लड़की ने जब इसका विरोध किया तो उसके ऊपर पेट्रोल छिड़कर कर आग लगा दी थी. जिसकी वजह से वह 70-80 फीसदी झुलस गई थी.
चीखने चिल्लाने की आवाज सुनकर स्थानीय लोगों ने छात्रा को इलाज के लिए जिला चिकित्सालय पौड़ी में भर्ती कराया गया था लेकिन गंभीर हालत को देखते हुए श्रीनगर बेस अस्पताल रेफर किया था. लेकिन जब वहां भी हालत में सुधार नहीं हुआ तो उसे ऋषिकेश एम्स लाया गया. जहां सीएम से लेकर बाल विकास मंत्री भी मिलने पहुंची थी. वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आदेश के बाद छात्रा को दिल्ली सफदरगंज भेजा गया था. जहां उसने रविवार रात को वो जिंदगी की जंग हार गई.
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