उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार में पर्वतीय इलाकों में स्वास्थय सेवाओं के हालात दिन पर दिन खराब होते जा रहें हैं। राज्य में फिर एक बार एक महिला ने सड़क किनारे बच्चे को जन्म दिया। समय से उपचार न मिलने से बच्चे की मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना ने समाज और सरकार के संवेदनहीन नजरिए को भी उजागर कर दिया है। प्रसूता जिस बस से अस्पताल की ओर जा रही थी उस बस के चालक ने प्रसव पीड़ा होने पर गर्भवती को बीच सड़क में ही उतार दिया।
सूबे के मुखिया त्रिवेंद्र रावत अब उत्तराखंड में एअर एंबुलेंस चलाने की तैयारी कर रहें हैं हालांकि उनसे जमीन पर चलने वाली एंबुलेंस व्यवस्था संभाली नहीं जा रही है। चमोली के घाट ब्लाक के घुनी गांव निवासी मोहन सिंह बुधवार को आठ माह की गर्भवती पत्नी नंदी देवी (32) को बस से गोपेश्वर से बेस अस्पताल श्रीनगर ले जा रहे थे। तिलणी आते-आते नंदी का दर्द काफी बढ़ गया। मोहन ने बताया कि वह मंगलवार को नंदी को गोपेश्वर के जिला अस्पताल ले गया था। जहां जांच के बाद डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे की धड़कन कम है, हायर सेंटर ले जाओ। अस्पताल से एंबुलेंस नहीं दी गई इसलिए मुझे पत्नी को बस से लाना पड़ा। उधर, गोपेश्वर के सीएमएस डॉ शैलेंद्र कुमार ने बताया कि नंदी देवी को हायर सेंटर जाने की सलाह दी गई थी। उन्होंने एंबुलेंस नहीं मांगी थी। इसके बाद का मामला मेरे संज्ञान में नहीं है।
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श्रीनगर जाने के दौरान प्रसव पीड़ा से तड़प रही नंदी की आवाज सुनकर ड्राइवर ने पति-पत्नी को बस से उतरने को कह दिया। दोनों बस से उतर गए और नंदी सड़क किनारे बैठ गई। कुछ देर में उसने बच्चे को जन्म दे दिया। उपचार न मिलने से बच्चे की मौत हो गई। मोहन का कहना है कि उसने 108 को भी फोन किया पर तत्काल मदद नहीं मिली। सुबह 11 बजे 108 एंबुलेंस से नंदी को जिला अस्पताल रुद्रप्रयाग लाया गया। यहां वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. डीवीएस रावत ने जांच कर बताया कि महिला की स्थिति सामान्य है।
उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार बनने के बाद एंबुलेंस सर्विस के हालात तेजी से खराब हुए हैं। कई बार एंबुलेंस के डीजल का भुगतान न होने से उनके परिवहन में मुश्किलें आईं हैं