सरकार भले ही बदल गई लेकिन उत्तराखंड का हालात नहीं बदले। आज भी उत्तराखंड में महिलाओं के सड़क पर बच्चे को जन्म देने की घटनाएं इस देवभूमि को शर्मसार करती रहतीं हैं। ताजा वाक्या टिहरी में भिलंगना ब्लाक का है जहां प्रसव पीड़ा से कराह एक महिला को 108 सेवा के जरिए एंबुलेंस नहीं मिल सकी लिहाजा उसे सड़क पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा। परिजन रात करीब 11 बजे जच्चा-बच्चा को घर ले गए।
भिलंगना ब्लॉक के ग्राम डामकोट की अनीता देवी (24) पत्नी राजेंद्र सिंह को रविवार रात को प्रसव पीड़ा हुई। वह प्रसव के लिए अपने मायके पदोखा गांव आई थी। प्रसव पीड़ा होने पर परिजन अनीता को लेकर गांव की सड़क पर पहुंचे।
अनीता के पिता मंगल सिंह ने रात करीब साढ़े आठ बजे 108 नंबर पर कॉल कर एंबुलेंस की मांग की लेकिन 108 सेवा ने स्थानीय एंबुलेंस खराब होने का बहाना बनाकर सेवा उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया।
क्षेत्र के पूर्व जिला पंचायत सदस्य दिनेश लाल ने बालगंगा के तहसीलदार मोहन लाल आर्य को 108 सेवा उपलब्ध न होने की शिकायत की। उन्होंने 108 और तहसीलदार के बीच कांफ्रेंस कॉल भी करवाई।
बावजूद 108 सेवा से एंबुलेंस खराब होने के चलते कोई मदद नहीं मिल पाई। तहसीलदार ने स्वयं के स्तर से वाहन की व्यवस्था करवाने का आश्वासन दिया लेकिन इस बीच रात 11 बजे प्रसव वेदना से कराह रही महिला ने सड़क पर ही बच्चे को जन्म दे दिया।
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परिजन अनीता और उसके बच्चे को घर ले गए लेकिन 108 सेवा की मनमानी ने एक बार फिर से उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल कर रख दी है। परिजनों ने समय पर 108 सेवा न मिलने पर रोष जताया है।
108 सेवा के प्रभारी ललित मोहन जोशी ने बताया कि घनसाली में तैनात 108 सेवा के टायर खराब होने के कारण पदोखा गांव की प्रसूता को एंबुलेंस उपलब्ध नहीं करावा पाए। गाड़ी में स्टेपनी भी नहीं थी। सरकार ने पुराना भुगतान भी नहीं किया है, जिससे 108 सेवा के वाहनों की मरम्मत नही हो पा रही है।
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