मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जनता दरबार में अपने ट्रांसफर की फरियाद लेकर पहुंची उत्तरकाशी की एक स्कूल टीचर अभद्रता के आरोप में सस्पेंड हो गईं।
इस मामले के तूल पकड़ने के बाद हरकत में आई सरकार ने अब इस मामले में वास्तविक स्थिति सामने लाने के लिए प्राथमिक जांच बैठा दी गई है। सरकार का दावा है कि इस जांच में उत्तरा बहुगुणा भी अपना पक्ष रखने के लिए पूरा मौका दिया जाएगा। जांच के लिए उप शिक्षा अधिकारी नौगांव को नामित किया गया है।
मुख्यमंत्री के जनता दरबार में हंगामा करके सुर्खियां बटोरने वाली शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा का दामन भी पाक साफ नहीं है। जानकारी के अनुसार वह 19 अगस्त 2017 से बिना किसी अनुमति के विद्यालय से अनुपस्थित चल रही हैं। इतना ही नहीं इससे पहले भी पांच अगस्त 2015 से 10 अप्रैल 2017 तक भी विद्यालय से लगातार अनुपस्थित रही।
इससे पहले भी अपने उत्तरदायित्वों का ठीक से निर्वहन न किये जाने के कारण बहुगुणा को 20 नवम्बर, 2008 एवं 27 जुलाई, 2011 में भी निलंबित किया जा चुका है। जो कि उस स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों के भविष्य के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता है।
फिलहाल शिक्षिका के इस हंगामे के बाद भी मुख्यमंत्री का रुख शिक्षिका के लिए नरम है और उन्होंने बहुगुणा के आवेदन पर अधिकारियों को नियमानुसार समुचित कार्यवाही के लिए निर्देशित किया है। इसमें बहुगुणा की पारिवारिक परिस्थितियों का भी ध्यान रखा जाएगा। यह देखा जाएगा कि स्थानांतरण एक्ट के अंतर्गत क्या किया जा सकता है।