उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार अब राज्य कर्मचारियों की हड़ताल पर सख्त हो गई है। 31 जनवरी और 04 फरवरी को प्रस्तावित आंदोलन के दिन किसी भी प्रकार का अवकाश स्वीकृत न करने का आदेश जारी कर दिया गया है। साफ है कि इस बार सरकार राज्य कर्मचारियों के साथ आर पार के मूड में है। सरकार ने अब तक कर्मचारियों की मांगों को लेकर भी कोई सकारात्मक पहल नहीं की है। लिहाजा इस बार कर्मचारियों और सरकार में सीधा टकराव हो सकता है।
अपर मुख्य सचिव कार्मिक एवं सतर्कता श्रीमती राधा रतूड़ी ने सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों, विभागाध्यक्षों, मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को प्रदेश में अधिकारियों, कर्मचारियों एवं शिक्षकों द्वारा हड़ताल/कार्य बहिष्कार के संबंध में जारी पत्र में स्पष्ट किया है कि कर्मचारियों द्वारा की जाने वाली हड़ताल राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली के अन्तर्गत प्रतिबन्धित है। उन्होंने कहा है कि कर्मचारी संगठनों द्वारा अपनी मांगों के सम्बन्ध में प्रायः हड़ताल/कार्य बहिष्कार किए जाते हैं, जिससे जहां एक ओर जन सामान्य को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, वहीं शासन द्वारा संचालित योजनाओं के क्रियान्वयन में विलम्ब होता है। कर्मचारियों द्वारा की जाने वाली हड़ताल राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली के अन्तर्गत प्रतिबन्धित है।
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अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने इस सम्बन्ध में स्पष्ट किया है कि विभाग के पत्र दिनांक 13 दिसम्बर, 2018 द्वारा मा0 उच्च न्यायालय द्वारा स्वतः संज्ञानित जनहित याचिका संख्या 115/2018 In the matter of Prevention of Recurrent Strikes Organized by various Government/Non Government Unions/Organizations में पारित निर्णय दिनांक 29 अगस्त, 2018 में दिये गये आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाये। उन्होंने इस संबंध में समय-समय पर जारी शासनादेशों की ओर अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करते हुए स्पष्ट किया कि उक्त संदर्भित शासनादेशों द्वारा निर्गत निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाय।
अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने यह भी निर्देश दिये कि उत्तराखण्ड अधिकारी- कर्मचारी /शिक्षक समन्वय समिति के पत्र दिनांक 23 जनवरी, 2019 द्वारा दिनांक 31 जनवरी, 2019 एवं 04 फरवरी, 2019 प्रस्तावित आन्दोलन कार्यक्रम के अन्तर्गत किसी भी प्रकार का अवकाश स्वीकृत न करते हुए इस सम्बन्ध में अवकाश नियमों का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाय।