आखिरकार त्रिवेंद्र रावत ने रुकते रुकाते ही सही लेकिन राज्य में तैनात दो बड़े आईएएस अफसरों को सस्पेंड कर ही दिया। सीएम रावत को ये कदम उठाने में हालांकि तकरीबन डेढ़ साल का समय लग गया लेकिन देर आए दुरुस्त आए जैसे एहसास पूरे राज्य को रहा है। इस राज्य में जिसे नौकरशाहों का स्वर्ग कहा जाता है उस राज्य में आईएएस अधिकारियों पर इतनी बड़ी कार्रवाई होना बड़ी बात कही जा सकती है।
मुख्यमंत्री बनने के बाद सीएम रावत ने अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसी घोटाले का जिक्र छेड़ा था और दावे के साथ कहा था कि इस घोटाले की सीबीआई जांच कराई जाएगी। हालांकि केंद्र में बैठी अपनी ही सरकार के दबाव में त्रिवेंद्र रावत को सीबीआई जांच से पीछे हटना पड़ गया था। दरअसल केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ये नहीं चाहते थे कि किसी भी तरह से उनके विभाग नेशनल हाइवे के अधिकारियों पर कोई आंच भी आए। लिहाजा सीबीआई जांच नहीं कराई गई।
हालांकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने एसआईटी बना कर जांच शुरु कर दी। जांच के दाएरे में आते ही शुरुआती झटके में तकरीबन आधा दर्जन अधिकारियों को सस्पेंड किया गया। इनमें से एक ऐसा भी अधिकारी है जो रिटायर हो चुका था लेकिन जांच के दाएरे में उसे भी लिया गया।
VIRAL POST – बड़ी कार्रवाई : सीएम रावत ने दो IAS अधिकारियों को किया निलंबित
जिन दो आईएएस अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है वो दोनों ही अलग अलग समय पर ऊधमसिंह नगर के जिलाधिकारी की कुर्सी संभाल चुकें हैं। कृषि भूमि को गैरकृषि दिखाकर उसके लिए कई गुना मुआवजा लेने के आरोपों के छींटें इन दोनों अधिकारियों पर भी पड़ते रहें हैं। एसआईटी ने इन दोनों अधिकारियों से उनकी भूमिका स्पष्ट करने को कहा था। कुछ सवाल पूछे गए थे जिनके जवाब आईएएस चंद्रेश यादव और आईएएस पंकज पांडेय दोनों ने दिए थे। सूत्रों की मानें तो इन दोनों ने ही मुआवजा वितरित न होने का हवाला दिया था।
वहीं इस मसले में आईएएस एसोसिएशन ने भी एकबारगी सख्त रवैया अपनाने की कोशिश की लेकिन मुख्यमंत्री के इरादों को भांप कर वो चुप रह गए।
अब जब सीएम रावत ने दो आईएएस अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है तो ये साफ है कि एनएच 74 घोटाले की जांच फाइलों में अटक कर नहीं रह जाएगी। इस मामले में पहले ही 22 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। अब दो आईएएस अधिकारियों का निलंबन बड़ी कार्रवाई है। लेकिन इसी बीच एक बड़ा सवाल ये भी है कि ये पूरा खेल सिर्फ अधिकारियों का खेला हुआ नहीं था। इस काम में कुछ सफेदपोशों के शामिल होने की भी खबरें हैं। हालांकि अब तक एसआईटी ने उस ओर इशारा नहीं किया है। ऐसे में राज्य की जनता को इंतजार रहेगा सीएम रावत के उस कदम का जिससे साबित हो कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में कोई उनका सगा नहीं है।