जब सरकार अपनी है तो फिर मुकदमा कौन लड़ेगा। जी हुजूर, आम नागरिकों के लिए सरकारों के अलग काएदे तो माननीयों के लिए अलग काएदे। जीरो टालरेंस यही होता है। फिलहाल खबर ये है कि उत्तराखंड सरकार बीजेपी नेताओं पर दर्ज कई मुकदमे वापस ले लिए हैं। जो खबरें मिल रहीं हैं उनके मुताबिक कुछ मुकदमे हत्या और हत्या के प्रयास जैसे गंभीर मामलों के भी हैं।
मीडिया में आ रही खबरें बताती हैं कि बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं पर दर्ज तकरीबन 50 मुकदमे सरकार वापस लेने की संस्तुति कर चुकी है। जिन नेताओं पर से मुकदमे वापस लिए जा रहें हैं उनमें हरक सिंह रावत, धन सिंह रावत, राजकुमार ठुकराल, यतीश्वरानंद शामिल हैं। आरटीआई के तहत मिली जानकारी बताती है कि राज्य में त्रिवेंद्र सरकार बनने के बाद से अपने करीबियों पर से मुकदमे वापस लेने का काम शुरु हो गया था। पिछले 16 महीने में तकरीबन 50 से अधिक मुकदमे वापस लेने की संस्तुति कर दी गई है। इनमें से अधिकतर मुकदमे कांग्रेस सरकार के दौरान दर्ज हुए थे।
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आरोप है कि कई मुकदमे राजनीतिक साजिश के तहत दर्ज कराए गए हैं । ऐसे में त्रिवेंद्र सरकार अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के दामन पर लगे दागों को धुलने में लग गई है। हालांकि कई मुकदमे तो शांति भंग और सरकारी काम में बाधा डालने जैसे हैं लेकिन कई मुकदमे बेहद गंभीर किस्म के हैं। राजकुमार ठुकराल पर दो मामले हत्या और हत्या के प्रयास के हैं जबकि कुंवर प्रणव चैंपियन पर एक मुकदमा घातक हथियार लेकर उपद्रव करने का भी है। इन मुकदमों में कानून अपना काम कर रहा था लेकिन उत्तराखंड सरकार ने कानून से पहले अपना फैसला सुना दिया।