पहाड़ के लोगों की दुश्वारी किसी भी सरकार में कम होती नहीं दिख रही है। चाहें वो डबल इंजन की सरकार हो या ट्रिपल इंजन की। पहाड़ के लोग भगवान भरोसे और अपने हौसले के सहारे ही जीने को मजबूर हैं। सरकार नाम की कोई संस्था उनकी मदद नहीं करती। अब देवाल के हालात ही देख लीजिए। आपदा के लगभग डेढ़ महीने बाद भी प्रशासन कुलिंग से वाण गांव की सड़क नहीं खोल पाया। इसी दौरान 55 साल की एक बुजुर्ग महिला हिरूली देवी की वाण गांव में तबीयत बिगड़ गई। अस्पताल तक जाने का रास्ता बह चुका था और मोटर पुल भी लेकिन पहाड़ के लोगों का हौसला तो नहीं टूटा था लिहाजा बुजुर्ग महिला को कुर्सी में बैठा कर बांधा गया और चल पड़े ग्रामीण अस्पताल की ओर। भारी बारिश और दुरुह रास्ता। तेज बहते गदेरों के ऊपर कामचलाऊ और खतरनाक लकड़ी के पट्ठों से बना हिलता डुलता पुल पार कर किसी तरह कुलिंग तक पहुंचाया गया। इसके बाद बुजुर्ग महिला को थराली पहुंचा दिया गया जहां फिलहाल इलाज चल रहा है। इस दौरान ग्रामीणों को आठ किलोमीटर का पैदल सफर तय करना पड़ा।
38 दिन में भी नहीं बना वैली ब्रिज
पर्वतीय राज्य में पहाड़ के लोगों के लिए अधिकारियों के कामकाज का रवैया भी चलताऊ है। यही वजह है कि 15 जुलाई की बारिश से वाण गांव को देवाल से जोड़ने वाला मोटर मार्ग कुलिंग से आगे बंद पड़ा है और अधिकारी ठीक नहीं कर पाए हैं। कुलिंग के पास मोटर पुल बह चुका है। वैली ब्रिज बनने का काम पूरा नहीं हो पाया है। 38 दिन से टूटा कुलिंग के पास का पुल अब भी नहीं बन पाया
अब आप समझ सकते हैं कि पहाड़ के क्षेत्रों में लोगों को कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन इस सबके बीच हैरानी इस बात की है कि सरकार का कोई मंत्री, बड़ा अफसर, प्रभारी मंत्री कोई भी पहाड़ के दौरे पर नहीं निकल रहा है। सभी देहरादून में अपने बंगलों में बैठे हैं। ऐसे में कैसे पहाड़ की परेशानियों को समझ पाएंगे ये लोग ये एक बड़ा सवाल है।