देहरादून। सिडकुल में हुए घोटाले की एसआईटी जांच के आदेश देने के बाद अब उत्तराखंड सरकार के लिए ही मुश्किल खड़ी हो सकती है। माना जा रहा है कि एनएच 74 घोटाले में जिस तरह से सरकार बैकफुट पर आ गई थी उसी तरह से अब उसे सिडकुल घोटाले में भी बैकफुट पर आना पड़ सकता है। दरअसल त्रिवेंद्र सरकार ने जिस सिडकुल घोटाले की एसआईटी जांच के आदेश दिए हैं वो 2012 से 2017 के बीच का बताया जा रहा है। इस दौरान कांग्रेस का शासन था और दो मुख्यमंत्री रहे। शुरुआती दौर में विजय बहुगुणा ने सरकार की कमान संभाली। विजय बहुगुणा बीजेपी में राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी बन चुके हैं। अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या त्रिवेंद्र रावत सरकार अपने ही बड़े नेता के खिलाफ जाने वाली जांच कराने का साहस दिखा पाएगी? या फिर ऐसा भी हो सकता है कि सरकार ने पहले ही विजय बहुगुणा के कार्यकाल को क्लीन चिट देने की व्यवस्था कर ली हो।
गौरतलब है कि सिडकुल (उत्तराखंड राज्य औद्योगिक विकास निगम) में नियुक्तियों और निर्माण में हुए घोटालों की जांच एसआईटी करेगी। गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय को वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की अगुवाई में एसआईटी गठित करने के आदेश दिए हैं।
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सूत्रों के मुताबिक शासन ने सिडकुल में अनियमितताओं को लेकर अभिसूचना से गोपनीय जांच पड़ताल कराई। अभिसूचना के इनपुट के आधार पर शासन ने सिडकुल की अनियमितताओं की जांच एसआईटी से कराने का फैसला लिया है।
गृह विभाग ने मंगलवार शाम पुलिस मुख्यालय को वरिष्ठ आईपीएस की अगुवाई में एसआईटी गठित करने के आदेश जारी कर दिए। यह जांच 2012 से लेकर 2017 के बीच हुईं नियुक्तियों और निर्माण कार्यों को लेकर होगी।
आरोप हैं कि इस दौरान सिडकुल की जमीन को कांग्रेसी नेताओं या उनके करीबियों को दे दीं गईं। यही नहीं, सिडकुल में नियम विरुद्ध तरीके से कांग्रेसी नेताओं के रिश्तेदारों को मोटी तनख्वाह पर नौकरियां भी दीं गईं।
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