ASP सुहाय अजीज। पाकिस्तान की यह लेडी सुपरकॉप चर्चा में है। पूरा पाकिस्तान उनकी बहादुर पर फिदा है। पाक के बाहर भी उनकी बहादुरी का किस्सा खूब वायरल हो रहा है। कराची में शुक्रवार दोपहर चीन के वाणिज्यिक दूतावास पर टेरर अटैक में सुहाय हीरो बनकर उभरीं। आतंकी हमले के वक्त वह निडर होकर अपनी टीम का नेतृत्व करतीं नजर आईं। कौन हैं पाकिस्तान की यह लेडी सुपरकॉप, आइए जानते हैं उनके बारे में…. उनके पिता का नाम अजीज तालपुर है जो एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक हैं।
सुहाय अजीज सिंध के तांडो मोहम्मद खान जिला के भाई खान तालपुर गांव की रहने वाली हैं। उनका संबंध एक मध्यमवर्गीय परिवार से है।
उन्होंने फौजी फाउंडेशन हायर सेकंड्री स्कूल, तांडो मोहम्मद खान से 10वीं की।
बहरिया फाउंडेशन कॉलेज, हैदराबाद से 12वीं करने के बाद जुबैदा गर्ल्स कॉलेज, हैदराबाद से बीकॉम किया। उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ सिंध, जमशोरो से इकनॉमिक्स में मास्टर डिग्री ली। इसके बादा अल हम्द अकैडमी हैदराबाद से चार्टर्ड अकाउंटेंसी में सर्टिफिकेट कोर्स किया।
2013 में सेंट्रल सुपीरियर सर्विसेज के एग्जाम क्लियर करने के बाद उन्होंने पुलिस में जॉइन किया।
पाकिस्तान के एक न्यूज पोर्टल को दिए अपने इंटरव्यू में सुहाय ने बताया था कि उनका जीवन उतार-चढ़ाव से गुजरता रहा। इस उतार-चढ़ाव के दौरान उनके सपने भी हिचकोले लेते रहे। कभी वह आर्किटेक्ट बनकर भवनों की सुंदरता में अपनी प्रतिभा की झलक देखना चाहतीं तो कभी न्यूरोसर्जन बनकर बीमारों को अपनी मेहनत और प्रतिभा समर्पित करना चाहती थीं। कभी वह पायलट बनकर फलक की ऊंचाइयों को छूना चाहती थीं। खैर ऊंचाई पर पहुंचने का उनका सपना ही था और उनके सपने की उड़ान में वह शिद्दत थी कि वह पाकिस्तान के कट्टर माहौल में भी पहली महिला एएसपी बन गईं। जाहिर सी बात है कि पाकिस्तान के माहौल में एक महिला का पुलिस सर्विस में आना आसान नहीं रहा होगा।
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उनको भी विषम परिस्थितियों को सामना करना पड़ा। सुहाय ने बताया कि रिश्तेदारों ने उनके पढ़ने से नाता तोड़ लिया था। लेकिन मजबूत इरादों की मालिक सुहाय ने अपने सपनों को कट्टरता और रुढ़िवाद के कदमों तले कुचलने नहीं दिया। उन्होंने बुलंद हिम्मत और हौसले का परिचय देते हुए सपनों को हकीकत में बदलने का संघर्ष जारी रखा। बाद में सीएसएस (सेंट्रल सुपीरियर सर्विसेज) एग्जाम पास करके पुलिस में अधिकारी बनीं। वह बताती हैं कि उनकी सफलता के बाद तो फिर वे रिश्तेदार भी संपर्क करने लगे जिनको वह जानती भी नहीं थीं।