Baba Neem Karoli या बाबा नीम करोली या बाबा नीब करोरी Baba Neeb Karori कौन थे। बाबा नीम करोली की महिमा क्या है? कैसे उनके चमत्कारों ने लोगों की दुनिया बदल कर रख दी। कहां है बाबा नीम करोली का धाम। इस पोस्ट में हम आपको सबकुछ बताएंगे।
बाबा नीम करोली का संक्षिप्त जीवन परिचय –
असली नाम: लक्ष्मी नारायण शर्मा
उपनाम: महाराज जी
व्यवसाय: हिंदू गुरु, रहस्यवादी, और हिंदू देवता हनुमान के भक्त
जन्मदिन: 11 सितम्बर 1900
जन्मस्थान: गांव अकबरपुर, फ़िरोज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
उम्र: 11 सितम्बर 1900 से 11 सितम्बर 1973 तक
मृत्यु तारीख: 11 सितम्बर १९७३
मृत्यु का कारण: कोमा
मृत्यु स्थान: वृन्दावन
राशि: कन्या
घर: गांव अकबरपुर, फ़िरोज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
राष्ट्रीयता: भारतीय
धर्म: हिन्दू
बाबा नीम करोली की महिमा
बाबा नीम करोली महाराज के पिता का नाम श्री दुर्गा प्रशाद शर्मा था। अकबरपुर के किरहीनं गांव में ही उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुवी। 11 वर्ष कि उम्र में लक्ष्मी नारायण शर्मा का विवाह हो गया था। बाबा जी ने जल्दी ही घर छोड़ दिया और लगभग 10 वर्ष तक घर से दूर रहे।
एक दिन उनके पिता उनसे मिले और गृहस्थ जीवन का पालन करने को कहा। पिता के आदेश को मानते हुए Neem Karoli Baba घर वापस लौट आये और दोबारा गृहस्थ जीवन शुरू कर दिया।
Neem Karoli Baba जी गृहस्थ जीवन के साथ- साथ धार्मिक और सामाजिक कामों में सहायता करते थे। Neem Karoli Baba को दो बेटे और एक बेटी हुई।
कुछ समय बाद उनका घर गृहस्थी में उनका मन नहीं लगा और लगभग 1958 के आस- पास बाबा जी ने फिर से घर त्याग कर दिया। Neem Karoli Baba जी अलग- अलग जगह घूमने लगे। इसी भृमण के दौरान उनको लक्ष्मण दास, हांड़ी वाला बाबा, तिकोनिया वाला बाबा आदि नामों से जाना जाने लगा।
ये भी कहा जाता है कि बाबा जी ने मात्र 17 वर्ष की आयु में ज्ञान प्राप्त कर लिया था। नीम करोली बाबा जी ने गुजरात के बवानिया मोरबी में साधना की और वहां वो तलैयां वाला बाबा के नाम से मशहूर हो गए और वृंदावन में महाराज जी, चमत्कारी बाबा के नाम से भी जाने गए।
बाबा नीम करोली की समाधि
उनकी समाधि वृंदावन में तो है ही, पर कैंची, नीब करौरी, वीरापुरम (चेन्नई) और लखनऊ में भी उनके अस्थि कलशों को भू समाधि दी गयी। उनके लाखों देशी एवं विदेशी भक्त हर दिन इन मंदिरों एवं समाधि स्थलों पर जाकर बाबा का अदृश्य आशीर्वाद ग्रहण करते हैं।
उत्तराखंड के नैनीताल से 65 किलोमीटर दूर पंतनगर में नीम करौली नाम के एक संन्यासी का आश्रम है। बाबा का 1973 में निधन हो गया था। लेकिन आश्रम में अब भी विदेशी आते रहते हैं। यह आश्रम फिलहाल एक ट्रस्ट चलाता है।
बाबा नीम करोली के चमत्कार
नीम करोली बाबा की महिमा की कई कहानियां हैं। एक चमत्कार के अनुसार, बाबा के धाम में आयोजित भंडारे में एक बार घी की कमी पड़ गईं थी और बाबा के आदेश पर वहां नीचे बहती नदी से पानी भरवाया गया लेकिन प्रसाद बनाते समय वो पानी घी में परिवर्तित हो गया।
कहते हैं कि बाबा में दैवीय ऊर्जा थी वो अचानक ही भक्तो के बीच प्रकट होते थे और अचानक ही लुप्त हो उठते थे। चाहे वाहन से पीछा करो या फिर पैदल, वो अचानक ही विलुप्त हो जाते थे।
बाबा नीम करोली और स्टीव जॉब (Baba Neem Karoli and Steve Jobs story)
आपको जानकर हैरानी होगी कि एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स की किस्मत भी बाबा के आशीर्वाद के बाद ही पलटी थी। बताते हैं कि जीवन में निराशा को झेल रहे स्टीव को किसी ने बाबा नीम करोली के धाम जाने की सलाह दी। स्टीव अमेरिका से बाबा के दर्शन करने पहुंचे। यहां पता चला कि बाबा समाधि ले चुके हैं।
इसके बावजूद स्टीव तीन महीनों तक बाबा के धाम में ही रहे और साधना करते रहे। बताते हैं कि इसके बाद ही स्टीव ने एप्पल नाम के ब्रांड की स्थापना की और जीवन में सफलता के नए आयाम छू रहें हैं।
बाबा नीम करोली और मार्क जुकरबर्ग (Baba Neem Karoli and Mark Zuckerberg story)
स्टीव जॉब की ही तरह फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग के जीवन में टर्निंग प्वाइंट बाबा नीम करोली के धाम में आने के बाद आया। बाबा की महिमा देखिए कि जब मार्क जुकरबर्ग 32 साल के थे तो वो फेसबुक की स्थापना तो कर चुके थे लेकिन उसे आगे नहीं बढ़ा पा रहे थे। वो निराश होकर फेसबुक बेचने के बारे में सोचने लगे थे।
इसके बाद उन्हें स्टीव जॉब ने ही बाबा के धाम जाने की सलाह दी। इसके बाद वो बाबा धाम में आए। ये बात मार्क जुकरबर्ग ने हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत में भी बताया था।
मार्क जब वापस लौटे तो उनका जीवन बदल चुका था। नीम करोली की महिमा ऐसी कि मार्क ने फेसबुक को नए सिरे से शुरु किया और अब फेसबुक दुनिया की सबसे बड़ी सोशल मीडिया साइट है।
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