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उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022: (Uttarakhand Assembly Elections 2022) उत्तराखंड में 60 पार का नारा देकर चुनावी अभियान की शुरुआत करने वाली बीजेपी अब तक चुनावों में अपना घोषणा पत्र नहीं जारी कर पाई है। हालात ये हैं कि बीजेपी अब घोषणा पत्र जारी करने की तारीख भी नहीं बता रही है।
उत्तराखंड में बीजेपी ने अब तक अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी नहीं किया है। बीजेपी की ओर से घोषणा पत्र जारी न होने को लेकर राज्य में सियासी चर्चाएं जोरों पर हैं। लोग सवाल पूछ रहें हैं कि आखिर ऐसा क्या है कि चुनावों में मतदान के एक हफ्ते का समय बचे होने के बावजूद बीजेपी अपना घोषणापत्र सार्वजनिक नहीं कर पाई है।
माना जा रहा है कि बीजेपी के घोषणा पत्र के जारी होने में कुछ व्यवहारिक दिक्कतें आ रहीं हैं। पिछले पांच सालों में तीन मुख्यमंत्रियों का बदला जाना इसमें एक बड़ी समस्या है। दरअसल बीजेपी किस मुख्यमंत्री का काम गिनाए और किसका छोड़े वो तय नहीं कर पा रही है।
वहीं बीजेपी ने अपना चुनाव प्रचार मोदी सरकार की उपलब्धियों पर ही फोकस कर दिया है। अधिकतर बैनरों और पोस्टरों में सीएम धामी की फोटो से आगे पीएम मोदी की फोटो लगाकर ही वोट मांगा जा रहा है। इससे साफ पता चलता है कि बीजेपी के लिए तीन तीन मुख्यमंत्री बदलना बड़ी मुसीबत के तौर पर उभरा है।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022: हरदा का हेलिकॉप्टर शॉट, महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों से भाग रही बीजेपी
अब जबकि मतदान 14 फरवरी को होना है और अब लगभग एक हफ्ते का ही समय बचा है। ऐसे में अब तक बीजेपी का घोषणा पत्र जारी न होना सियासी चर्चाओं के घेरे में आ गया है। माना ये भी जा रहा है कि बीजेपी धार्मिक भावनाओं के सहारे सत्ता की मंजिल पाने के लिए अपने घोषणा पत्र के ड्राफ्ट में अंत समय में बदलाव कर रही है। इसी वजह से देर हो रही है। लेकिन इतना तो तय हो चुका है कि बीजेपी अपने ही घोषणा पत्र के मुद्दों पर चुनाव लड़ने नहीं जा रही है।
कांग्रेस ने भी बीजेपी के घोषणा पत्र के जारी न होने पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने पूछा है कि कहां रह गया बीजेपी केा घोषणा पत्र? कांग्रेस की माने तो बीजेपी मुद्दों से भाग रही है। बेरोजगारी और महंगाई जैसे मसलों पर बीजेपी कुछ भी बोलने की स्थिती में नहीं है। वहीं स्थायी राजधानी का मसला भी बीजेपी के लिए गले की फांस बना हुआ है।
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