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उत्तराखंड। उत्तराखंड में लोक पर्व फूलदेई धूमधाम से मनाया जा रहा है। त्योहार को लेकर बच्चों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है।आज सुबह कुछ बच्चे फूलदेई मनाने सीएम आवास पहुंचे और फूलों से सीएम आवास की देहरियां पूजीं। बच्चों ने देहरी पर फूल और चावल अर्पित कर फूलदेई छम्मा देई, दैणी द्वार भर भकार, तुमार देली में बार-बार नमस्कार’ गीत गाकर लोगों की सुख समृद्धि की कामना की। कार्यवाहक सीएम पुष्कर सिंह धामी और उनकी पत्नी गीता धामी ने बच्चों को शगुन दिया।
कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में बच्चों के साथ उत्तराखंड का लोकपर्व फूलदेई मनाया। धामी ने प्रकृति का आभार प्रकट करने वाले फूलदेई पर्व की प्रदेशवादियों को शुभकामनाएं दी एवं प्रदेश की सुख- समृद्धि की कामना की।
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फूलदेई लोकपर्वहरीश रावत ने माना पार्टी की रणनीतिक में हुई चूक, बेहद भावुक नज़र आए हरदा! पर धामी ने ईश्वर से कामना की कि वसंत ऋतु का यह पर्व सबके जीवन में सुख समृद्धि एवं खुशहाली लाए। धामी ने इस अवसर पर आए बच्चों को उपहार भेंट किये। शशिभूषण मैठाणी एवं पर्वतीय संस्कृति संरक्षण समिति के सहयोग से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया।
पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि फूलदेई उत्तराखण्ड की संस्कृति एवं परम्पराओं से जुड़ा प्रमुख पर्व है। उन्होंने कहा कि किसी राज्य की संस्कृति एवं परंपराओं की पहचान में लोक पर्वों की अहम भूमिका होती है। हमें अपने लोक पर्वों एवं लोक परम्पराओं को आगे बढ़ाने की दिशा में लागातार प्रयास करने होंगें।
जानें फूलदेई त्योहार का महत्व:
बसंत ऋतु के स्वागत के लिए इस पर्व को मनाया जाता है। चैत्र की संक्रांति यानी फूलदेई के दिन से प्रकृति का नजारा ही बदल जाता है। हर ओर फूल खिलने शुरू हो जाते हैं। फूलदेई के लिए बच्चे अपनी टोकरी में खेतों और जंगलों से रंग-बिरंगे फूल चुनकर लाते हैं और हर घर की देहरी पर चुनकर लाए इन फूलों को चढ़ाते हैं। इस लोक पर्व के दौरान बच्चे लोकगीत भी गाते हैं। ‘फूलदेई छम्मा देई, दैणी द्वार, भर भकार, ये देली स बारंबार नमस्कार’ यानि भगवान देहरी के इन फूलों से सबकी रक्षा करें और घरों में अन्न के भंडार कभी खाली न होने दें।
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