उत्तराखंड के ऋषिकेश में दो नाबालिग बहनों से दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में पोक्सो कोर्ट ने सेवादार आरोपी परवान सिंह को फांसी की सजा सुनाई थी। लेकिन बुधवार को हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद साक्ष्य के अभाव में आरोपी को दोषमुक्त कर दिया।
बता दें कि मामला 15 जून 2017 का है। ऋषिकेश की श्यामपुर पुलिस चौकी के पास नेपाली मूल की एक महिला दो बेटियों (13 व तीन साल) और नौ वर्षीय बेटे के साथ रहती थी। घटना वाले दिन महिला रोज की तरह घरों में कामकाज के लिए गई थी और बेटा ताई के यहां था।
बेटा करीब साढ़े ग्यारह बजे घर आया तो देखा कि बाहर से कुंडी लगी हुई थी। दरवाजा खोला तो देखा कि दोनों बहने पलंग पर बेसुध पड़ी थीं। उसने सामने स्थित गुरुद्वारे के सेवादार के फोन से मां को फोन किया, जिसके कुछ देर बाद वह वहां आ गई।
उन्होंने पड़ोस से चिकित्सक को बुलाकर दोनों बच्चियों की जांच कराई तो चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मौके पर पहुंची पुलिस ने बताया था कि बच्चियों की गला घोंटकर हत्या की गई है।
गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में परवान सिंह ने बताया था कि वह दोनों बच्चियों को अकेला देखकर घर में घुसा था। उसने पहले बड़ी बेटी के साथ दुराचार किया और गला घोंटकर उसे मार डाला।इसके बाद उसे लगा कि छोटी लड़की ने उसे देख लिया है। इसके बाद उसने छोटी लड़की से भी दुराचार किया और उसे भी मार डाला। पुलिस को बड़ी बच्ची के हाथों से कुछ बाल मिले थे। इनका आरोपी के साथ डीएनए मिलान कराया गया। ये बाल परवान सिंह की दाढ़ी के थे। इन्हीं साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय ने सरदार परवान सिंह को दोषी करार दिया था।
https://www.khabardevbhoomi.com/uttarakhand-news/notice-issued-to-pcs-officers-of-uttarakhand/