देवप्रयाग : देवप्रयाग से एनसीसी अकादमी पौड़ी शिफ्ट किए जाने से लोगों की नाराजगी बढ़ती जा रही है। क्षेत्र में भारी जनाक्रोश बना हुआ है. क्षेत्र की जनता कैबिनेट के फैसले को पक्षपातपूर्ण मान रही है। एनसीसी अकादमी को शिफ्ट करना सरकार के लिए परेशानियां खड़ी कर रहा है. स्थानीय जनता पिछले 63 दिनों से धरने पर डटी है। अब इस धरने में स्कूल के बच्चे स्कूल की छुट्टी होने के बाद धरना देने के लिए मजबूर हैं. मांग सिर्फ एक उनके क्षेत्र से अकादमी को पौडी स्थानान्तरित ना किया जाय।
ठगा सा महसूस कर रहे ग्रामीण
पूर्व हरिश रावत सरकार ने प्रदेश की पहली एनसीसी अकादमी देवप्रयाग के श्रीकोट माल्डा गांव में खोलने की तैयारी की। अकादमी का शिलान्यास 5 दिसम्बर 2016 को हरीश रावत सरकार ने किया. इस कार्यक्रम मे एनसीसी महानिदेशक सहित तमाम मंत्री देवप्रयाग पहुंचे। गांव वालों ने अकादमी के लिए अपनी जमीन भी राज्य सरकार को दान मे दी लेकिन अचानक वर्तमान सरकार के एक फैसले ने देवप्रयाग के लोगों को आंदोलन करने मे मजबूर कर दिया। दरअसल वर्तमान सरकार ने अकादमी को देवप्रयाग के माल्डा गांव मे बनाने के बजाय पौड़ी बनाने का कैबिनेट में फैसला लिया जिससे अब जिन ग्रामीणों ने अपनी जमीन सरकार को दान में दी वो आज अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
अकादमी को देवप्रयाग ही बनाया जाय
विरोध में मात्र ग्रामीण ही नहीं है बल्कि स्कूली बच्चे भी इस फैसले के विरोध में उतर आये हैं. बच्चे रोज स्कूल की छुट्टी होने के बाद आंदोलन को अपना समर्थन देने रोज धरना स्थल पहुंचकर देवप्रयाग से अकादमी को शिफ्ट करने का विरोध कर रहे हैं। इन नैनिहालों का कहना है कि अकादमी को देवप्रयाग ही बनाया जाय जिससे उनके क्षेत्र में विकास हो सके।
स्थानीय लोगों का कहना है प्रदेश में क्षेत्रवाद की राजनीति नहीं होनी चाहिए जिस क्षेत्र मे पहले घोषणा हो चुकी शिलान्यास हो चुका है वहां से उस संस्थान को शिफ्ट करना सही नहीं है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि एनसीसी अकादमी देवप्रयाग ही बननी चाहिए.
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